सोमवार, 6 मई 2024

द एलकेमिस्ट : पुस्तक समीक्षा

पीले और लाल रंग का एक चित्र जिसमें सबसे उपर श्वेत वर्ण में "65 MILLION COPIES SOLD" लिखा है। बीच में बड़े गहरे लाल अक्षरों में "THE ALCHEMIST" लिखा है जिसके ठीक नीचे छोटे अक्षरों में श्वेत वर्ण में "A FABLE ABOUT FOLLOWING YOUR DREAM" लिखा हुआ है। नीचे पिरामिड जैसी गहरी लाल संरचनाओं के उपर श्वेत अक्षरों में लेखक का अंग्रेज़ी में नाम "Panlo Coelho" लिखा है जिसका स्वरूप हाथ से लिखे जैसा है।
पुस्तक के कवर का चित्र
वर्ष 2022 में मैंने द एलकेमिस्ट (The Alchemist) नामक पुस्तक अमज़ोन से क्रय की। इसका सुझाव किसने दिया था यह तो याद नहीं लेकिन सम्भवतः सुदेव प्रधान नामक एक छात्र ने इसका सुझाव दिया था। उस समय सुदेव प्रधान भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान बरहमपुर में एमएससी कर रहा था। इस पुस्तक की रचना पाउलो कोइल्हो (Paulo Coelho) ने की है जिसकी मूल भाषा पुर्तगाली है। मैंने इसका अंग्रेज़ी अनुवाद क्रय किया है। पुस्तक के शुरूअती पृष्ठों में लेखक के सन्देश के नाम पर कुछ लिखा है लेकिन पढ़कर ऐसा लगा जैसे वो अनुवाद करने वाले का लेखन हो। इसमें दो लोगों को अनुवादक के रूप में दिखाया गया है जिनमें पहला मार्गरेट जूल कोस्टा (Margaret Jull Costa) है और दूसरा नाम प्रस्तावना के अनुवादक के रूप में है और यह नाम क्लिफर्ड ई लैंडर्स (Clifford E. Landers) है। पुस्तक के पृष्ठ संख्या 1 से मूल पाठ आरम्भ होता है लेकिन पहले दो पृष्ठों में पढ़ने के लिए कुछ नहीं है और ये खाली हैं। इसके बाद पृष्ठ संख्या 3 से पहला भाग आरम्भ होता है। मैं इस पुस्तक को 1 दिसम्बर 2022 को पढ़ना आरम्भ कर चुका था। मुझे इसकी भाषा थोड़ी कठिन लग रही है अतः पहले पैरा से पढ़ना आरम्भ किया लेकिन पहले दिन केवल एक पैरा ही पढ़ पाया था।

इस बीच मैं कुछ अन्य कामों में व्यस्त हो गया और बीच में अन्य पुस्तकें पढ़ना आरम्भ कर दिया। 30 जुलाई 2023 को मुम्बई से जयपुर यात्रा के दौरान मैंने इस पुस्तक को पुनः पढ़ना आरम्भ किया। इसमें एक गड़रिये की कहानी है। वो एक अच्छे परिवार से था लेकिन वो अपने पुश्तैनी काम को छोड़कर गड़रिया बनना चाहता था क्योंकि इस क्रम में वो विभिन्न स्थानों का भ्रमण कर सकता था और बहुत कुछ सीख सकता था। रेलगाड़ी की यात्रा के दौरान आजकल पुस्तक पढ़ना उतना सामान्य नहीं है जितना 15 वर्ष पहले होता था। 15 वर्ष पहले रेलयात्रा के दौरान पुस्तक पढ़ने वाले लोग शिक्षित की तरह देखे जाते थे क्योंकि अन्य लोगों के पास कोई काम नहीं होता था। लेकिन अब सभी के पास स्मार्टफोन होता है और रेलयात्रा के दौरान सोशल मीडिया चल रही होती है। अतः माहौल के विपरीत जाकर मैंने पुस्तक पढ़ना जारी किया। कुछ पृष्ठ पढ़ने के बाद मुझे ऐहसास हुआ कि पुस्तक केवल पढ़ने के लिए उचित नहीं है। इसमें बहुत कथन हैं जिन्हें कहीं भी प्रयुक्त किया जा सकता है। वर्ष 2007 में जारी एक हिन्दी फ़िल्म "ओम शांति ओम" में तो एक संवाद बहुत लोकप्रिय हुआ था जो इसी पुस्तक से लिया गया है। यह संवाद चाहत और उसके मिलने की राह के बारे में है। पुस्तक को पढ़ते हुये मैंने कुछ वाक्यों को इस तरह समझा:
  • लोगों से जान पहचान होने के बाद वो आपके परिचित होने लगते हैं। उसके बाद वो चाहते हैं कि आप बदल जायें। यदि आप उनके अनुसार नहीं बदलते हैं तो उन्हें गुस्सा आता है।
  • किसी दुसरी पुस्तक के बारे में बताते हुए कि दुनिया का सबसे बड़ा झूठ ये है कि हम जीवन के एक मोड़ पर, हमें क्या हो रहा है इसपर अपना नियंत्रण खो देते हैं और स्वयं के जीवन को भाग्य के भरोसे नियंत्रित होने के लिए छोड़ देते हैं।
  • लोगों से बात करने से बेहतर है भेड़ के साथ रहें जो कभी कुछ भी विचित्र बातें नहीं कहती या एकांत में पुस्तक पढ़ लें जो अपनी पूरी कहानी तब सुनाती है जब हम सुनना चाहते हैं।
  • जब आप किसी चीज को चाहते हो, पूरा ब्रह्माण्ड उसे प्राप्त करने में आपकी सहायता करता है। (when you want something, all the universe conspires in helping you to achieve it.)
  • जब आप कुछ पाना चाहते हो तो उसकी एक कीमत चुकानी पड़ती है। बुजुर्ग ने इसकी कीमत उसकी 1/10 भेड़ों को मांग लिया था।
  • गड़रिया उस व्यापारी की बेटी को याद करते हुए सोचता है कि उसके लिए हर दिन एक जैसा होता होगा। उसे तो याद भी नहीं होगा कि वो उससे कब मिली थी। लोगों के लिए हर दिन एक जैसा होता है क्योंकि वो ये समझ ही नहीं पाते कि हर दिन उनके जीवन में कुछ अच्छा होता रहता है।
  • जब आप पहली बार खेल रहे होते हो तो आपको अपनी जीत सुनिश्चित दिखाई देती है।
  • आप सब जगहों की सुंदरता को देखो और उसका आनंद लो, लेकिन अपने मुख्य लक्ष्य और अपने हाथ में रखे अपने सामान को मत भूलो, इसी में खुशी मिलेगी।
  • एक दिन में सबकुछ बदल गया, अब उसके पास एक भी भेड़ नहीं है और वो दूसरे देश के एक सुनसान बाजार में है।
  • मैं दुनिया को वैसा देखता हूँ जैसा मुझे अच्छा लगता है, वैसा नहीं जैसी वास्तव में ये है।
  • अपना भाग्य पत्थर से जानने की कोशिश की तो पाया कि उसके थैले में छेद है और दोनों पत्थर जमीन पर पड़े हैं, अर्थात कुछ बातें जानने का प्रयास भाग्य के भरोसे नहीं करना चाहिये।
  • कैंडी स्टाल को लगाते समय को याद करते हुए उसे याद आया कि वो स्पेनी भाषा में बोल रहा था और स्टॉल वाला व्यक्ति अरबी में। फिर भी दोनों को एक दूसरे की भाषा बिना शब्दों की जानकारी के समझ में आ रही थी। ये कुछ वैसा ही अनुभव था जैसा उसे अपनी भेड़ों के साथ बातें करते हुये अनुभव होता है। (मेरे व्यक्तिगत जीवन में ऐसा अनुभव वर्ष 2013 का है जब जिनेवा में उस बस चालक महिला ने मुझे फ्रांसीसी भाषा में मेरा गंतव्य समझाया था जबकि मैं उसे हिन्दी में पूछ रहा था।)
  • 30 वर्ष तक एक ही व्यापार या काम करने के बाद कोई दूसरा काम पकड़ना लगभग असंभव होता है।

उपरोक्त कथनों के बाद मैं पुस्तक को आगे नहीं पढ़ता और सोचता हूँ कि बाद में पढ़ूँगा। बाद में लम्बे समय तक नहीं पढ़ पाया। हालांकि बीच में जो कुछ पढ़ा भी, उसका सारांश नहीं लिखा। सम्भवतः मैंने पुस्तक पूरी करने के उद्देश्य से पढ़ना जारी रखा। गड़रिया भेड़ों को बेचकर जो धन एकत्र करता है, वो एक चोर उसे धोका देकर चुरा लेता है। उसके बाद वो भूखा-प्यासा एक कांच के बर्तन की दुकान में नौकरी करता है। वहाँ वो काफी धन अर्जित कर लेता है। उसके बाद आगे की यात्रा में वो एक अंग्रेज़ से मिलता है। अंग्रेज़ एलकेमिस्ट से मिलना चाहता है। गड़रिया अपनी यात्रा के दौरान फातिमा नामक एक युवती से मिलता है और दोनों में प्यार भी हो जाता है। उसे एलकेमिस्ट भी मिलता है। वो ऊंट की जगह घोड़े से यात्रा करने के लिए कहता है क्योंकि ऊंट अचानक से साथ छोड़ देता है जबकि घोड़ा धीरे-धीरे कमजोर होता है। अपने गंतव्य के लिए रवाना होने से पहले बालक फातिमा को अपने प्यार का इजहार करता है और कारण बताने की कोशिश करता है लेकिन युवती उसे रोक देती है। युवती के अनुसार प्यार होने का कोई कारण नहीं होता, ये बस हो जाता है।

पुस्तक में एलकेमिस्ट शब्द के भी परिस्थिति अनुसार अलग-अलग अर्थ बताये गये हैं जिन्हें मैं मेरी भाषा में समझूँ तो एक ऐसे व्यक्ति अथवा व्यक्तियों से है जो अपने अनुभव से इस स्तर पर पहुँच गये हैं कि उन्हें हर परिस्थिति से आसानी से बाहर निकलना आता है। उन्हें निरोग रहना आता है और रोगी को दवा देने का भी अनुभव है। उन्हें कठिन परिस्थितियों जैसे युद्ध अथवा किसी ऐसे निर्जर स्थान से बाहर निकलने का भी अनुभव होता है। मई 2024 के शुरूआती सप्ताह में मैं एकदिन सुबह जल्दी उठा और पुस्तक के कुछ पृष्ठ पढ़े। यहाँ मैंने पुनः कुछ वाक्य अपनी समझ के अनुरूप लिखे, जो निम्नलिखित हैं:
  • गड़रिये ने अपना कारण बताया जिसमें अपनी यात्रा बताई और साथ में वो कथन बोला जिसके अनुसार पूरा ब्रह्माण्ड उन्हें मिलाना चाहता है।
  • विश्व की आत्मा में सबकुछ लिखा हुआ है और ये हमेशा रहेगा।
  • दिल की बात नहीं मानने पर वो बार बार याद दिलाएगा और समय के साथ पश्चाताप जैसा अनुभव करवाएगा।
  • प्रत्येक खोज की शुरुआत, शुरुआत करने वाले  के भाग्य के साथ आरम्भ होती है लेकिन इसका अंत जीतने वाले के विभिन्न परख लेकर होता है।
  • सबकुछ जो केवल एकबार होता है, वो दोबारा नहीं हो सकता। लेकिन सबकुछ जो दो बार होता है, वो तीसरी बार बिलकुल होगा।
पुस्तक का अंत किसी के लिए रोचक हो सकता है और किसी के लिए निराशाजनक। क्योंकि गड़रिया जिस खज़ाने की खोज में निकला था वैसा उसे कुछ नहीं मिला। लेकिन दूसरे ढ़ंग से देखा जाये तो वो बचपन से ही कुछ नया सीखने की चाह रखता था। उसने अपने आप को गड़रिया भी इसी कारण से बनाया था। अंत में वो मिश्र के पिरामिड देख पाया जबकि वो जहाँ से चला था वहाँ से पिरामिड के बारे में सोचना भी नामुमकीन था। उसने अपने कमाये धन को दो बार खोया और पिरामिड दिखाई देने के बाद पुनः खो दिया। उसने जीवन में अनेक पड़ाव देखे और हर पड़ाव में एक अलग सीख मिली। यह ही जीवन है।

पुस्तक के अंत में दो पृष्ठों में पुस्तक का सार दिया गया है जिसमें पुस्तक की कहानी को लघु रूप में दिया गया है लेकिन मुझे लगता है कि यह सार पुस्तक पढ़े बिना समझ में नहीं आयेगा। अंत में पुस्तक के लेखक "पाउलो कोएल्हो" का एक साक्षात्कार छापा गया है जिसके अनुसार लेखक धर्म और अध्यात्म की बात करता है। लेखक के अनुसार धर्म जीने का एक तरीका है लेकिन अध्यात्म इससे पूर्णतः अलग है। धर्म पर कुछ विशेष लोग कब्जा कर लेते हैं जबकि वो धर्म नहीं होता।