शनिवार, 4 जुलाई 2020

From Twinkle Rani on retirement of Dr J. S. Saini

वास्तव में लिखा हुआ पाठ

SIR, कहां से शुरू करू समझ नहीं आ रहा है।
आपने हमें बहुत कुछ सिखाया है जो इन शब्दों में समा नहीं पा रहा है।
यू तो हमने आपको महारानी महाविद्यालय में बहुत बार पढ़ाते पाया।
पर आपसे पहली बार पढ़ने का मौका B.SC. PART 3RD में हमें मिल पाया।
जब हमने आपको हमारे LAB TEACHER के रूप में पाया।
SIR, आपको हमने हमेशा LAB में हमारी समस्याओं को बहुत शांति से सुलझाते हुये पाया।
और इन सब बातों ने आपके बहुत विनम्र और शान्त स्वभाव से हमारा परिचय करवाया।
आपके चहरे पर रहने वाली हर मुस्कराहट ने आपका खुशनुमा स्वभाव बतलाया।
SIR, सबसे पहले आपने ही हमको PRACTICAL RECORD में REFERENCE लिखना बताया।
और अच्छे से THEORY लिखना भी आपने ही सिखाया।
किस्मत से हमारी, हमने आपको M.SC. 2ND SEMESTER में
ELECTRODYNAMICS के TEACHER के रूप में पाया।
यहाँ पर भी आपका मेहनती स्वभाव नहीं छुप पाया।
क्योंकि इस CORONA के समय भी हमने आपको हमेशा हमारी मदद के लिए आगे पाया।
पर SIR आपका सबसे खुशनुमा स्वभाव उस दिन सामने आया जिस दिन (SPORTS
DAY) आपने हमको BADMINTON खेलना भी सिखाया। SIR, हमने आपको हमेशा
बहुत निष्ठा से कर्तव्य पालन करते हुए पाया। 
और अब आपके सेवानिवृत्त होने का समय आया।
SIR, इस शुभ घड़ी में आपको बहुत सारी शुभकामनायें देना चाहूँगी।
और आपके स्वस्थ, ख़ुशनुमा जीवन के लिए प्रार्थना करना चाहूँगी।
SIR, इसी के साथ अपने शब्दों पर विराम लाना चाहूँगी। 
और THANK YOU कह कर आपको धन्यवाद देना चाहूँगी।
SIR, THANK YOU SO MUCH!!!
YOUR OBEDIENTLY, TWINKLE RANI

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Twinkle Rani is doing M.Sc. from Department of Physics, University of Rajasthan.
She did B.Sc. from University Maharani College, Jaipur in 2019.

From Nikita Sharma on retirement of Dr J. S. Saini

वास्तव में लिखा हुआ पाठ

जब महारानी महाविद्यालय में प्रवेश हमने पाया था
तब हमारे नयनों को आपका दर्शन हो पाया था
यूं तो, आपसे पढ़ने का सौभाग्य हमे कहाँ मिल पाया था
पर उन प्रयोगशालाओं में,
आपका मुस्काता चेहरा हमेशा सामने पाया था
आपकी सफ़ेद कमीज़ ने, हमें शांति का पाठ पढ़ाया था
आपकी सरलता को देख, सरल दोलक भी शरमाता था
आपको हाथों ने, उन उलझी तारों को
बड़े प्यार से सुलझाया था
आपके शैक्षणिक कार्यकाल ने, आपको अनेक विद्यार्थियों से मिलवाया है
आपने उनकी लक्ष्य की राह में उलझी तारों को सुलझाया है
जोड़ कर उनका परिपथ, उनकी राह को जगमगाया है
आप जैसे शिक्षक को पाकर, राजस्थान विश्वविद्यालय भी धन्य हो पाया है
आज आपके सेवानिवृत्त होने का दिन आया है
संग में अपने जीवन का एक नया पड़ाव लाया है
इस सुनहरे अवसर पर,
हमारे दिल ने आपको धन्यवाद देना चाहा है
आप जीवन के हर पड़ाव में यूंही मुस्कुराते रहे
हमने खुदा को यही पैग़ाम भिजवाया है।

THANK YOU AND CONGRATULATIONS SIR

NIKITA SHARMA

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Nikita Sharma is doing M.Sc. from Department of Mathematics, University of Rajasthan.
She did B.Sc. from University Maharani College, Jaipur in 2019.

From Dr Sunita Mahawar on retirement of Dr J. S. Saini

A Note of Thanks on Your Retirement

Dear J. S. Sani Sir,

It seems like yesterday, when I got admission in Maharani's college and got opportunity to have teacher like you. It has been more than 15 years of learning from you, first as a student and ten as a colleague, still I find, time has been short enough. Whether it was college or department, your calm nature and smiling face always offered a hassle free environment of learning from you. You have made a profound impact on my professional and personal development. Words are less in thank you on every front.

Many Congratulations Sir, on this day of your retirement. I wish all the best in your next phase of your life! Your dedication, knowledge, and experience will be missed a lot. Wishing you an exciting and stress free retirement with many smiles.


With Regards & Thanks
Sunita

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Dr Sunita Mahawar is assistant professor at Department of Physics, University of Rajasthan.

From Dr Sunita Mahawar on retirement of Prof. Deepak Bhatnagar

A Note of Thanks on Your Retirement

Dear Deepak Sir,


Time seems like flying, I find it like yesterday, when I observed your magnificent personality first time being student in Maharani;s college. It has been my great fortune to get opportunity to work with a distinguished person like you. Your calmness and cheerfulness with high wisdom make you a perfect leader and ideal mentor. Beside a great mentor, I always find a fatherly figure in you. Deepest thanks for all your support, motivation and inspiration which you have extended in me. Sir, you will be missed a lot!

On your retirement , I extend my heartily congratulations to you and best wishes in your next phase of your life! You truly deserve every little bit of joy retirement after many years of dedicated work for our Rajasthan University. Wishing you an exciting and stress free retirement with many smiles.

With Regards & Thanks
Sunita
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Dr Sunita Mahawar is assistant professor at Department of Physics, University of Rajasthan.

Email from Prof. Sudhir Raniwala on retirement of Dr. Jaswant Saini

Dear Dr. Jaswant Saini,

Heartiest congratulations on completing a milestone in life. There is very little that we can do where there is compulsory retirement at a given age. 
What is important is what we do before we retire. 

The idea in this mail originates from my understanding of the job of a University teacher and the culture that makes him/her.

While the primary job of a teacher is teaching and research, over the last many years, the focus has shifted to everything else other than teaching and research. I have heard people in our Department argue that other jobs are also University jobs, and hence are important. Unfortunately, I have never been able to appreciate that other jobs have the same importance as teaching and research. While the salary that we get for teaching and research is fixed, some other jobs do get us a lot without any decrease in salary.  

What I like and admire about you is that you never compromised with academic ethics, teaching was always your priority, and you maintained this much required respect for your profession. 
It is also important that you could do this even though there is a prevailing culture to which you could have succumbed to.  More importantly, the values that were practiced by other people within your research group, have been very different from the values practiced by you. 

सब कहते हैं संगत का असर होता है | शायद आपके संस्कार ऐसे थे कि तिरस्कारपूर्ण मूल्यों वाले लोगों के साथ समय गुज़ारने के बावजूद आप तटस्थ रहे | व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते मैंने लोगों को सांसारिक एवम शैक्षिक मूल्यों  से समझौता  करते देखा है ---  इस हद तक गिरते देखा है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती | यह शायद उनकी ज़रुरत थी,  और यही शायद उनके संस्कार थे | शायद आप अपने  रिसर्च ग्रुप के अलावा अच्छे लोगों की संगत में भी रहे |  

मैं एक कमज़ोर इंसान हूँ, और लोगों से प्रभावित हो जाता हूँ ---  इसीलिए प्रयास करता हूँ कि अपना समय  सिर्फ ऐसे लोगों के साथ व्यतीत करूँ जहाँ मुझ पर कोई गलत प्रभाव न पड़े | यदि आप मेरे जैसे कमज़ोर व्यक्तित्व के होते तो शायद बुरी संगत में आप भी अवांछनीय मूल्यों अपना लेते | 

यह मेरे लिए गर्व का विषय है कि आप जैसे लोग इस विभाग मे थे | I have mentioned you to some of my colleagues and collaborators outside this University.  While I do not know anything about your research, I do know that you did very well as a teacher. My heartiest congratulation for being able to honour the commitment that we should all be doing. 

With my best wishes for a happy retired life and with kind regards,


Sudhir Raniwala

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Prof. Sudhir Raniwala is professor at Department of Physics, University of Rajasthan.
You can know more about him by searching on google.

मंगलवार, 30 जून 2020

आपकी सेवानिवृत्ति पर कुछ

प्रो॰ दीपक भटनागर (बायें) और डॉ॰ जसवंत सैनी (दाएं)

मैं यह ब्लॉग राजस्थान विश्वविद्यालय के भौतिकशास्त्र विभाग से आज सेवानिवृत्त हो रहे दो लोगों के बारे में लिख रहा हूँ जो इस चित्र में सम्मिलित हैं। मैं अन्य लोगों की तरह आपको बधाइयाँ  भेजने के स्थान पर इस ब्लॉग में वो खट्टी मिट्ठी यादें साझा करना चाहूँगा जो मैंने पिछले 12 वर्षों में प्राप्त की हैं। मैं वर्ष 2008 में यहाँ से MSc करने आया था तब आपको नहीं जानता था। धीरे धीरे मैं जानने लगा। चूँकि आप दोनों का शोध कार्य माइक्रोवेव से सम्बंधित रहा है और यह विषय मैंने मेरी पढ़ाई में नहीं चुना। अतः मैं आपसे इस विषय के बारे में अधिक ज्ञान प्राप्त करने में असमर्थ रहा। अब मैं आगे के दो पैराग्राफ में अलग अलग अनुभव लिखूँगा। आप दोनों लोग हैं प्रो॰ दीपक भटनागर और डॉ॰ जसवंत सैनी। सामान्यतः  ऐसे समय पर विभाग में सभी शिक्षकों के साथ मिलकर एक लघु कार्यक्रम रखा जाता है लेकिन इस बार कोविड-19 के कारण यह नहीं हो सका। दिसंबर 2013 में भौतिक शास्त्र विभाग में जब मैंने यहाँ नौकरी आरम्भ की उसके बाद के बहुत अनुभव हैं। वो भी निम्नलिखित शब्दों में उल्लिखित हैं।

पहले मैं भटनागर जी के बारे में लिखता हूँ। आपसे मुझे विद्यार्थी के रूप में पढ़ने का मौका नहीं मिला क्योंकि आप जो विषय पढ़ाते रहे थे वो मुझे ऐच्छिक विषय के रूप में नहीं मिला। अतः  आपके साथ अधिकतर अनुभव मेरे नौकरी में आने के बाद के हैं। आपको सामान्यतः कुछ हल्का चटपटा अथवा मिठाई मंगवाकर खाते विभाग में देखा। इसी तरह आपकी प्रयोगशाला में भी कई बार दावत होते देखी। शायद आपकी लैब में हर पेपर के प्रकाशन पर दावत होती थी। इससे प्रेरित होकर मैं भी आपसे विभिन्न अवसरों पर मिठाई माँगने लगा। मिठाई खाने से ज्यादा मजा आपसे मिठाई मांगने में था। इस मिठाई के सम्बन्ध ने आपसे दोस्ती को बढ़ावा दिया। इसके बाद आपसे आधी आयु में होते हुए भी मैं खुलकर बात कर सकता था। आपसे लड़ाई कर सकता था और सबसे अधिक, आपके साथ बच्चों की तरह जिद्द भी की। कई बार कुछ सही बातों पर आपको गुस्सा करते भी देखा लेकिन धीरे धीरे अचानक मेरी समझ बदली या आपमें अधिक सरलता आ गयी, मैं नहीं समझ पाया। शायद झगड़ा तो दूर की बात हो गयी। आप हर बात और हर काम को हाँ करने को कह दिया करते थे। मुझे कोई छोटा मोटा सामना चाहिए होता था और मैं आपसे बिल पास करवाने जाता तो आप बिना देखे ही हस्ताक्षर कर दिया करते थे। मैं कई बार मजाक में आपसे पूछता कि आपसे मैं किसी भी पत्र पर हस्ताक्षर करवा लूँ तो आप शायद ना नहीं कहोगे और आप भी ऐसा ही कहते। शायद आपसे मुझे भी प्यार हो गया था। बस मेरी कुछ अपेक्षाएँ और भी थी जो आपने पूरी नहीं की: मैं आपको सायकिल चलाते देखना चाहता था, लेकिन आपने ये नहीं दिखाया। मैं आपके साथ पैदल घूमना चाहता था लेकिन आप घुटनों में दर्द के कारण शायद इसमें भी मुश्किल दिखाते रहे हो। कई बार मैं आपको बॉलीवुड हिन्दी फिल्म 102 Not Out का हवाला देता तो आप भी हंस दिया करते। आपसे प्यार भी बहुत मिला और वो आपका प्यार मेरी जिद्द को आगे बढ़ने का मौक़ा देता। मैं मेरे सामाजिक जीवन में ऐसे लोगों के साथ रहने की हमेशा अपेक्षा रखता हूँ। मुझे उस समय बहुत आनंद प्राप्त होता था जब आप किसी भी तरह के मजाक में भी एक जगह मेरे सामने बुरी तरह से हार मान लेते थे और वो था कंप्यूटर और इंटरनेट से जुड़ा मामला। हालाँकि आप भी कंप्यूटर की समझ रखते हो और आपने C/C++ programming language  उस समय सीख ली थी जब मैंने कंप्यूटर का नाम भी नहीं सुना था। लेकिन फिर भी आप मुझे बेहतर मान लेते थे। वैसे तो आपने शायद किसी को भी यह नहीं कहा कि आपसे मैं बेहतर जानता हूँ लेकिन ऐसा आत्मसमर्पण, ऐसे लगता था जैसे आपने मुझे बहुत ऊँचे स्थान पर खड़ा कर दिया हो। मुझे आपसे सबसे अधिक प्यार का अनुभव उस दिन मिला जब इसी माह की 14 तारीख को मैंने विभाग में बिजली का झटका लगा और आपने मेरे अनुरोध के कुछ ही मिनट में electrician को भेजकर सबकुछ सही करवाया। आपका गायन मुझे बहुत अच्छा नहीं लगता था क्योंकि आप कितना भी अच्छा गाते हों, जगजीत सिंह जैसे गायकों की तुलना में शायद बहुत कम हो लेकिन आपके गायन में मुझे वो स्वतंत्रता मिलती थी जो मैं पसंद करता हूँ। सामान्यतः कहीं भी लोग ज्ञान देने पहुँच जाते हैं कि आप व्यवसाय में हो, उसमें ये ठीक है और ये ठीक नहीं है परन्तु जब आपको स्वंत्रतर रूप से गाते सुनता और देखता तो ज्ञात होता कि आप अपने प्रोफेशन के साथ व्यक्ति भी हो, जिसकी स्वयं की स्वतंत्रता होती है और उसी पर उसे मुग्ध होना चाहिए। आपके गायन के समय आपकी मुक्त शैली मुझे बहुत पसंद आती रही है। आशा करता हूँ मुझे आगे भी आपसे जिद्द करने और आपके मुक्त गायन का आनंद मिलता रहेगा।

अभी मैं सैनी जी के बारे में लिख रहा हूँ, आपको सबसे पहले विज्ञान भवन में विद्युत्गतिकी (electrodynamics) के शिक्षक के रूप में देखा। शुरुआत में आपका शिक्षण अच्छा लगा या बुरा, कुछ ठीक से कह नहीं सकता क्योंकि वो विषय मेरी रूचि का था और जब आपकी रूचि का विषय कोई पढ़ा रहा हो तो बुरा शायद ही लगे। आपसे मेरा अच्छा परिचय तीसरे सेमेस्टर में तब हुआ जब आपने माइक्रोवेव लैब में पहला प्रयोग करवाया। वास्तव में यह प्रयोग आपने मेरे सहपाठी राजपाल रुहेला को करने को दिया था लेकिन वो डरकर आपसे भागने लग गया। उसी समय मुझे मौक़ा मिला की वो प्रयोग मैं करूँ। मैंने हर समस्या आपसे साझा की और प्रयोग सफल रहा। मैंने प्रयोगशाला में अन्य प्रयोग भी किये लेकिन पहले प्रयोग ने आपसे मुझे जोड़ दिया। उस प्रयोग को ऐसा सीखने का मौक़ा मिला की बाद में TIFR के साक्षात्कार में भी वो प्रयोग सहायक बना। शायद वो प्रयोग नहीं किया होता तो उस साक्षात्कार में मुझे समस्या होती। मैं आपसे उसी समय खुलकर हर तरह की समस्या पूछना आरम्भ कर चुका था। यदि मुझे अंग्रेजी संबंधी समस्या आती थी तब भी मैं आपसे पूछने ही जाया करता था। जब मैं नौकरी लगाने के बाद आपके साथी के रूप में वापस आया तो शुरुआत में मैं अपने आपको भी थोड़ा होशियार मानने लग गया था लेकिन आपने एक दिन बड़े प्यार से TTL परिपथ में मेरी समझ को सही किया। उसके बाद तो मुझे मजा आ गया था। मैं खुलकर आपको समस्याएं पूछ लेता हूँ। घर पर भी मैं आपके पडोसी के रूप में रहा हूँ और जब रहा तब मुझे पड़ोसी का अनुभव नहीं हुआ बल्कि ऐसा एहसास हुआ कि मैं आपके घर का ही सदस्य हूँ, बस मेरे पास स्वतंत्रता अधिक है। आपने जब नया घर लिया तब भी मैं आपके घर इसी तरह से जाता हूँ जैसे मेरा अपना घर हो। ऐसी स्वतंत्रता शायद मेरे किसी और शिक्षक के साथ मुझे नहीं मिली। मुझे अपने घर की तरह लगने का एक कारण यह भी है कि मैं आपके घर जब आता हूँ तो मैं रसोई में पड़ी मिठाई भी बिना पूछे खा लेता हूँ। मैं लोगों को आपका घर दिखाने भी ऐसे आ जाता हूँ जैसे मेरा अपना घर हो। आपके साथ विश्वविद्यालय में भ्रमण का एक अलग ही अनुभव है जो मुझे मेरे मन की कई बातें आपके साथ करने के लिए अतिरिक्त समय देता था। इसके अतिरिक्त तकनीकी के रूप में आपकी कुछ भूल आप जिस ईमानदारी से मुझे बता देते हो, वो भी एक सुन्दर अभिव्यक्ति लगती है। आशा करता हूँ कि आपके घर मैं अब भी इसी तरह आता रहूँगा और मुझे ऐसा ही प्यार अब भी मिलता रहेगा।

इसके अतिरिक्त मैं आप लोगों को आपके लम्बे सेवानिवृत समय की शुभकामनायें देता हूँ। मैं चाहता हूँ कि जब मैं सेवानिवृत हो जाऊँ तब आप लोगों के साथ सायकिल चलाऊँ। मैं यह भी चाहता हूँ कि आप समय समय पर हमें इसका एहसास करवाते रहें की गुरु, गुरु होता है और उसके बिना शिष्य निरर्थक रह जाता है। बहुत बहुत शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने मेरा पूरा ब्लॉग पढ़ा।