रविवार, 30 मार्च 2025

द गर्ल विद नो ड्रीम्स: पुस्तक समीक्षा

पुस्तक का कवर चित्र, जिसमें गहरे लाल रंग की स्वेटर पहने एक युवती के बड़े लम्बे सुनहरे रंग के बाल दिखाई दे रहे हैं। युवती का गौरा रंग भी दिखाई देता है लेकिन चेहरा नहीं दिखाई देता। चित्र में उपर अंग्रेज़ी में छोटे अक्षरों में व श्वेत रंग में "A Story about Dreams, Hope and Death" लिखा है। उसके ठीक नीचे बड़े अक्षर आकार में श्वेत वर्ण में DEEPAK GUPTA लिखा है। नीचे बड़े अक्षर आकार में The Gril with no dreams लिखा है जो श्वेत वर्ण और तीरछे अक्षर हैं। इसके नीचे छोटे आकार में श्वेत वर्ण में ADVENTURES ON SELF DISCOVERY AND TRUE FRIENDSHIP लिखा है।
पुस्तक के कवर का चित्र

मैंने मेरे शिक्षण कार्य में विभिन्न विद्यार्थियों को पढ़ाया है। पहली बार एक छात्रा ने मुझे एक पुस्तक दी और उसने वो पुस्तक पढ़ ली थी। उसने इस पुस्तक के बारे में अपने विचार नहीं बताये थे लेकिन मुझे अच्छा लगा कि मुझे किसी ने एक छोटी सी पुस्तक दी है। मैंने सोचा था कि कभी इस पुस्तक को पढ़ूँगा लेकिन आज अचानक से मेरा पढ़ने का मन हुआ और मैंने एक ही जगह बैठकर पुस्तक को पूरा पढ़ लिया। पुस्तक की भाषा अंग्रेज़ी है और लेखक का नाम दीपक गुप्ता है। पुस्तक में लिखे अनुसार मुझे लेखक कुछ उल्लेखनीयता वाला नहीं लगा लेकिन फिर भी पुस्तक को पढ़ने में मुझे कोई बुराई नहीं लगी। अतः मैंने इसे पढ़ा। पुस्तक का शीर्षक द गर्ल विद नो ड्रीम्स (The Girl With No Dreams) है जिसका मेरे शब्दों में अर्थ "वो लड़की जिसके कोई सपने नहीं हैं" है। पुस्तक में कुल 36 पृष्ठ हैं जिनमें पहले पृष्ठ में मुद्राधिकार की जानकारी है, दूसरे पृष्ठ में विषयसूची है, तीसरे और चौथे पृष्ठों में प्रस्तावना दी गई है। इसके अतिरिक्त एक पृष्ठ में लेख के अन्य कार्यों के बारे में लिखा था अतः पुस्तक का पहला पाठ पृष्ठ संख्या छः से आरम्भ होता है। पुस्तक में कुल सात पाठ हैं और इस तरह पुस्तक के केवल 33 पृष्ठ पढ़ने योग्य हैं। मैं एक धीमा पाठक हूँ अतः मुझे पढ़ने में सामान्य लोगों की तुलना में अधिक समय लगता है। पिछले कुछ वर्षों में यह एकमात्र पुस्तक है जिसे मैंने एकसाथ पूरा कर लिया।

पुस्तक की प्रस्तावना में बिना सपनों वाली उस युवती का परिचय दिया गया है जिसकी आयु 12 वर्ष है और वो जंगल के मध्य में बांस की बनी उस कुटिया में रहती है जो उसकी माँ ने पिछले छः वर्ष में बनायी थी। उसका जन्म एक वैश्यालय में हुआ था अतः उसकी माँ को उसके पिता की जानकारी नहीं है। उसकी माँ उसे वैश्यावृत्ति से बचाने के लिए यहाँ एकांत में ले आयी थी। वो यहाँ तब आये थे जब वो केवल छः वर्ष की थी। इसमें लिखा गया है कि सपने वो औषधि अथवा अफीम है जो हमें जीवन में कुछ प्राप्त करने की शक्ति देते हैं। हम कभी-कभी अपने जीवन में दुख से बाहर आ जाते हैं लेकिन जीवन के कुछ दुख स्थायी होते हैं और हमेशा साथ में रहते हैं। युवती का नाम अमांडा है। अमांडा और उसकी माँ अपने जीवन व्यापन के लिए अपनी कुटिया के बाहर सब्जी और कुछ अन्य पौधे लगाती हैं और इसके लिए अन्य जानवरों से रक्षा के लिए बाड़ करके रखती हैं।

पहले पाठ की शुरुआत वहाँ से होती है जब अमांडा की माँ उसको कहती है कि वो हिरण के बच्चे को बाड़ के बाहर ही रोक दे और अमांडा को उसपर दया आती है लेकिन उसकी माँ इसके लिए उसे मना कर देती है और समझाती है कि स्वयं के लिए हमें क्रूर होना पड़ता है। इस पाठ में माँ-बेटी का प्यार दिखाया गया है जिसमें माँ अपनी बिटिया का माथा भी चुमती है। बीटिया भी अपनी माँ की आज्ञाकारी बेटी है और वो ही उसकी दुनिया है।

पुस्तक के दूसरे पाठ में अमांडा अपनी माँ के सामने जंगल में अकेले घूमने की माँग रखती है। थोड़ी सी जिद्द के बाद माँ उसे इसकी अनुमति दे देती है लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए एक चाकू भी देती है। अमांडा जंगल में घुमते हुये एक पेड़ पर चढ़कर फल भी खाती है और अनुभव करती है कि कैसे वो एक कुटिया और छोटे स्थान में स्वतंत्र थी लेकिन इस स्वतंत्र जंगल में वो डरती भी है। उसे एक पानी की बड़ी झील भी दिखाई देती है जिसमें वो स्नान करना चाहती है। इसके लिए वो अपने कपड़े उतारती है और स्वयं को देखती है। वो पहली बार स्वयं को पहचानती भी है क्योंकि उनके घर में कोई भी दर्पण नहीं है। जब वो स्नान करके बाहर आती है तो वो अपने कपड़ों को गायब पाती है और अब डरकर वापस पानी में चली जाती है। उसे यहाँ एक युवक भी मिलता है और वो उसके कपड़े लेकर आया था। वो जब उसके साथ कठोरता से सामने आती है और अपने कपड़े वापस देने के लिए कहती है तो वो युवक बताता है कि वो बन्दर से छीनकर उसके कपड़े लाया था। वो अमांडा के कहे अनुसार दूर चला जाता है। वो युवक ऐसा आदर्श व्यक्ति है जो केवल उसे प्यार ही प्यार देता है भले ही अमांडा अपनी माँ के समझाये अनुसार और अपने व्यक्तिगत अनुभवों के कारण उसे समझ नहीं पाती। वो उसे एक आम भी देने का प्रयास करता है जबकि अमांडा ने कभी आम का स्वाद नहीं चखा था। हालांकि वो कुछ भी लेने से मना कर देती है। युवक उसे पुनः मिलने का कहता है लेकिन अमांडा ना कहकर चली जाती है।

तीसरे पाठ में वो युवती वापस अपनी माँ के पास आती है। यहाँ उसकी माँ को वो आम मिलता है जो अमांडा को उस युवक ने दे दिया था। भले ही उसने वो आम लिया नहीं था लेकिन फिर भी उसे पता नहीं कैसे मिल गया था। उसकी माँ जब इसके बारे में पूछती है तो युवती झूठ बोल देती है कि एक आम का पेड़ मिला था। उसकी माँ भी आसानी से मान लेती है। जबकि उसकी माँ को पता है कि उस जंगल में वहाँ आम का पेड़ नहीं है। इसमें वो दौर दिखाई देता है कि कैसे बच्चे बाहर के प्रभाव में अपने माता-पिता से दूर होने लगते हैं। हालांकि अमांडा के लिए माता-पिता दोनों के स्थान पर अकेली माँ ही है।

चौथे और पाँचवे पाठ में अमांडा को वो युवक याद आता है जिससे वो जंगल में मिली थी और अपनी माँ की अनुपस्थिति में उससे मिलने चली जाती है। रयान नामक यह युवक उसे जल्दी ही मिल जाता है और उसे उसके सपनों की तरफ दौड़ाता है। यह एक आदर्श स्थिति लगती है जिसमें बहुत ही प्यार से एक युवक अपनी प्रेमिका को उसके सपने पूरे करवा देता है। रयान अपनी कुटिया भी अमांडा को दिखाता है और दोनों में इससे और अधिक लगाव हो जाता है। उसके बाद रयान उसे एक सुनहरा फूल दिखाने लेकर जाता है। सूर्यास्थ होने वाला है लेकिन वो भी इसके लिए उत्तेजित है। एक बहुत लम्बे पेड़ के नीचे रयान उसे लेकर जाता है और कहता है कि इसके उपर वो फूल है, वो पेड़ पर चढ़कर फूल तोड़कर लायेगा लेकिन अमांडा जिद्द करके पेड़ पर चढ़ती है। वो फूल तोड़कर लाती है लेकिन अब रयान कहता है कि वो झूठ बोल रहा था। वो उसका बहुत ऊँचे पेड़ पर चढ़ने का सपना पूरा करना चाह रहा था जो उसने पूरा करवा दिया। इनमें ये भी दिखाया गया है कि कैसे अमांडा उस युवक पर हमला कर देती है जब वो उसे अपनी कुटिया दिखाता है लेकिन वो उससे प्यार भी करने लगती है जैसे ही वो उसका दुख देखती है। अब वो अपनी माँ की चिन्ता छोड़कर रयान के साथ ही घूमना पसन्द करने लगती है। वो यह भी समझने लगती है कि दुनिया में सभी व्यक्ति बूरे नहीं होते।

छठे और अंतिम पाठ में अन्दाज़ पूरा फिल्मी हो जाता है। इसमें अमांडा कुछ जुगनू साथ लेकर अपनी कुटिया में पहुँचती है लेकिन उसकी खुशी तब दुख में बदल जाती है जब वो रयान के बारे में अपनी माँ को बताती है और उसके थोड़ी ही देर बाद उसकी माँ मर जाती है। हालाकि अब वो रयान से शिकायत करने जाती है और उसके द्वारा दिये सुनहरे फूल से उसकी माँ वापस जीवित हो जाती है और उसके बाद रयान गायब होने लगता है और अमांडा को ज्ञात होता है कि रयान वास्तविकता में कोई नहीं था बल्कि अमांडा की कल्पना मात्र था। यह पुस्तक मैंने एकसाथ ही बैठकर पूरा कर लिया। हालांकि इसके लिए मुझे मोबाइल को बंद करना पड़ा था क्योंकि साथ में कुछ और सुनते हुये पढ़ नहीं पा रहा था। हालांकि कुछ पंजाबी गानों के साथ इसे पढ़ लिया जिनको भी ध्यान से सुने बिना मैं समझ नहीं पाता हूँ।

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