शनिवार, 7 जून 2025

द आर्ट ऑफ़ लेज़ीनेस: पुस्तक समीक्षा

एक श्वेत चित्र जिसमें सबसे उपर OVERCOME PROCRASTINATION & BOOST YOUR PRODUCTIVITY लिखा है। बीच में बड़े अक्षरों में THE ART OF LAZINESS लिखा है और एकदम नीचे Library Mindset लिखा है।
पुस्तक के आवरण का चित्र

पिछले रविवार को मैंने कुछ पुस्तकें क्रय की उनमें से एक छोटी सी पुस्तक द आर्ट ऑफ़ लेज़ीनेस (The Art of Laziness) क्रय की। द आर्ट ऑफ लेज़ीनेस को हिन्दी में आलस्य की कला कह सकते हैं। सामान्य श्वेत वर्ण के आवरण वाली इस पुस्तक पर सबसे उपर पीले अक्षरों में लिखा हुआ है : Overcome procrastination & boost your productivity (टालमटोल पर काबू पायें और अपनी उत्पादकता बढ़ायें) और इसके प्रकाशक लाइब्रेरी माइंडसेट है। लगभग 120 पृष्ठ की यह पुस्तक लगभग एक घंटे से दो घंटे के बीच में पूरी पढ़ी जा सकती है। हालांकि मुझे पढ़ने में कई दिन लगे। मैंने पुस्तक का शुरूआती एक तिहाई भाग आराम से पढ़कर आनन्द लेने में किया लेकिन आज मैंने इसे पूर्ण करने का निर्णय किया और पूरा पढ़ भी लिया। वैसे तो पुस्तक में मुझे कुछ भी नया नहीं मिला और जो कुछ मिला वो ज्ञान मैं भी अलग-अलग समय पर लोगों को दे चुका हूँ लेकिन इतनी सभी बातें एकसाथ लिखी देखकर मुझे अच्छा लगा। पुस्तक में वर्तमान के विभिन्न सफल लोगों के उद्धरण भी लिखे हुये हैं।

पुस्तक के शुरू में एक उद्धरण पाउलो कोइल्हो का लिखा हुआ है। यह देखते ही मुझे द एल्केमिस्ट नामक पुस्तक याद आ गयी। यहाँ लिखे वाक्य का हिन्दी अनुवाद मुझे इस तरह समझ में आया: एक दिन आप उठोगे और तब आपके पास उन कार्यों के लिए बिलकुल भी समय नहीं होगा जो आप करना चाहते थे। अभी करो।

पुस्तक दो भागों में है और पहले भाग में पुस्तक में यह दिखाया है कि हम अपनी टालमटोल की नीति के चलते कैसे समय बर्बाद करते हैं जबकि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। जीवन बहुत छोटा है और अपना समय बर्बाद करने की जिम्मेदारी अपनी स्वयं की होती है। हमें गलत लोगों के आसपास नहीं रहना चाहिए और अपना सबसे बड़ा दुश्मन अपना स्वयं का सुविधाभरा समय है जिससे हम बाहर नहीं आते। पहले वो काम करो जो हमें मुश्किल लगते हैं। अपने आप को पूर्णतावादी बनाने की न सोचें और औसत दर्जे के व्यक्ति न बनें। एक साथ विभिन्न कार्य करने से अपनी उत्पादकता घटती है। अपनी दिनचर्या तैयार करें और लोगों को ना कहना सीखें। सातों दिन चौबीस घंटे काम न करें बल्कि अपने परिवार और दोस्तों को समय दें। रुकें नहीं, चिंता न करें, स्वयं से आप वो काम करें जिनमें लाभ अधिक हो जबकि हल्के काम दूसरों से करवा लें चाहे वो आपसे कम गुणवता का काम करके दे रहे हों।

पुस्तक के दूसरे भाग में कुछ पृष्ठ हैं जिनमें युक्तियाँ और तकनीकें लिखी गयी हैं। इनमें पिग्मेलियन प्रभाव, 80/20 नियम, आलस्य से बाहर आने की जापानी तकनीक, जीवन को बदलने वाली 10 सरल आदतें, पोमोडोरो तकनीक और दो दिन के नियम बताये गये हैं। इसके बाद पुस्तक में कुछ स्रोत दिये हैं।

पुस्तक मुझे पढ़ने में अच्छी लगी। पहले मैंने सोचा था कि पुस्तक को पढ़कर किसी अन्य व्यक्ति को दे दूँगा लेकिन अब ऐसे लग रहा है कि मुझे यह पुस्तक हमेशा मेरे साथ रखनी चाहिए। हालांकि मैं क्या निर्णय लूँगा ये तो समय ही बतायेगा।

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